शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

कक्षा 8 , ध्वनि कविता के प्रश्नोत्तर

Question 1:
कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
Answer :
उसको विश्वास है कि अभी वो कमज़ोर नहीं है। अपितु उसके अंदर जीवन को जीने के लिए उत्साह, प्रेरणा व ऊर्जा कूट-कूट कर भरी है। एक मनुष्य तभी स्वयं का अंत मान लेता है जब वह अपने अंदर की ऊर्जा को क्षीण व उत्साह को कम कर देता है। प्रेरणा जीवन को ईंधन देने का कार्य करती है, जब ये ही न रहे तो मनुष्य का जीवन कैसा? परन्तु ये तीनों प्रचुर मात्रा में उसके पास हैं। तो कैसे वह स्वयं का अंत मान ले। इसलिए उसका विश्वास है कि वो अभी अंत की ओर जाने वाला नहीं है।
Question 2:
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
Answer :
फूलों को विकसित करने के लिए कवि उन कोमल कलियों को जो इस संसार से अनभिज्ञ हैं और सुप्त अवस्था में पड़ी हुई हैं, अपने कोमल स्पर्श से जागृत करने का प्रयास करता है ताकि वो निंद्रावस्था से जागकर एक मनोहारी सुबह के दर्शन कर सके। अर्थात्‌ उस युवा-पीढ़ी को निंद्रा से जगाने का प्रयास करता है जो अपने जीवन के प्रति सचेत न रहकर अपना मूल्यवान समय व्यर्थ कर रही है और वो ये सब अपनी कविता के माध्यम से करना चाहता है।
Question 3:
कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
Answer :
पुष्पों की तंद्रा व आलस को हटाने के लिए कवि अपने स्पर्श से उन्हें जगाने का प्रयास करता है। जिस तरह वसंत आने पर उसके मधुर स्पर्श से फूल और कलियाँ खिल जाती हैं उसी तरह कवि भी प्रयत्नशील है।
Question 1:
कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है।
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूट जाते हैं।
Answer :
इस कविता में वसंत ऋतु का ही वर्णन है। यहाँ आम के बौर और होली के त्योहार का वर्णन है।



Question 2:
स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
Answer :
हम फूलों-पौधों को अधिक संख्या में उगाएँगे, उनकी देखभाल करेंगे और समय- समय पर खाद, पानी की सिंचाई आदि की व्यवस्था करेंगे, फूल-पौधों को जंगली जानवर और बेकार तोड़ने वालों से बचाएँगे।

Question 1:
बसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
Answer :
हमारे देश में छ: ऋतुएँ होती हैं - सर्दी, गर्मी, वर्षा, वसंत, पतझड़। इसमें वसंत को ऋतुराज कहते हैं क्योंकि इस ऋतु में न अधिक सर्दी पड़ती है और न अधिक गर्मी। अंग्रेज़ी महीने के अनुसार ये मार्च-अप्रैल में होती है। इसमें वसंत पंचमी, नानक त्योहार आता है, पीली-सरसों खिलती है, पेड़ों पर नए पत्ते नई कोपल आती है, आम के बौर भी लगते हैं। ये सभी के लिए स्वास्थयवर्धक भी होती है इसलिए इसे ऋतुराज कहते हैं।
Question 2:
वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।
Answer :
वसंत ऋतु कुल दो महीने से कुछ अधिक रहती है यह आधे फाल्गुन से शुरू होकर चैत बैसाख के कुछ दिनों तक रहती है। अत: इस ऋतु में मस्तीभरी होली रंगो का त्योहार, वसंत पंचमी, देवी सरस्वती की पूजा, खेती में पकी फसल और पीली सरसों का रंग, बैसाखी आदि त्योहार मनाए जाते हैं।
वसंत ऋतु
भारत को प्राकृतिक सौदर्य से पूर्ण करने में ऋतुओं का विशेष योगदान है। यहाँ की ऋतुओं में वसंत ऋतु सबसे प्रमुख है। यह फाल्गुन व चैत में शुरू होती है, चारों और उल्लास और आनंद का वातावरण होता है। उत्तर भारत व बंगाल में देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, पीले वस्त्र पहनते है, पीला पकवान फी बनाया जाता है। क्योंकि सरसों की पीली फसल लहलहा उठते हैं। मानो धरती ने पीली चादर ओढ़ ली है। यह एक सामाजिक त्योहार भी है क्योंकि इस पर लगे मेलों में मित्रों सगे सम्बन्धियों में मेलजोल बढ़ता है। कुछ लोग आज से ही अपने बच्चों की पढ़ाई शुरू करते हैं। रंग बिरंगे फूल खिलते हैं फूलों पर भँवरे, तितलियाँ मँडराती प्रकृति के सौदंर्य में चार चाँद लगाती है। प्रात: कालीन भ्रमण तो अनूठा आनंद देता है। वसंत ऋतु को मधु ऋतु भी कहते हैं। लोक गीतों की मधुरता और प्राकृतिक सौदंर्य भाव शून्य कर देता है।
आया ऋतुराज वसंत, शीत का हुआ अंत,
बागों में हरियाली छाई, प्रकृति मन मोहने आई,
झूम रहे हैं दिग् दिगंत, छा रहा है आनंद अनंत।
Question 3:
"ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है"- इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
Answer :
ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है - उसके खानपान, उसके पहनावे, उस समय के त्योहार, उनका स्वास्थय पर प्रभाव। अत: जैसी ऋतु होगी उपरोक्त बातें भी उसी के अनुसार होंगी।

Question 1:
'हरे-हरे', 'पुष्प-पुष्प' में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के 'हरे-हरे ये पात' वाक्यांश में 'हरे-हरे' शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ 'पात' शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे- वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है-''तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।'' जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द 'बेर' का दो अर्थों मे प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है। कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे- मन का मनका।
ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-रात, घड़ी-घड़ी।
Answer :
(1) बातों-बातों - बातों-बातों मे हम दोनों ने रास्ता पार कर लिया।
(2) रह-रहकर  - मुझे रह-रहकर अपनी स्वर्गवासी दादी की याद आती है।
(3) लाल-लाल  - सोनू के पास गुलाब के लाल-लाल फुल हैं।
(4) सुबह-सुबह  - मेरी दादी सुबह-सुबह हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे का जाप करती हैं।
(5) रातों-रात  - चोर रातों-रात घर का सामान लेकर चंपत हो गए।
(6) घड़ी-घड़ी  - तुम घड़ी-घड़ी दरवाज़े पर क्या देखते हो।

Question 2:
'कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात'
विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता (विशेषण) क्रमश: कोमल, मृदुल और हरे-हरे शब्द बता रहे है।
हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए है-गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।
Answer :
(i) गुणवाचक विशेषण :- अच्छा बंदर, सुन्दर कार
(ii) परिमाणवाचक विशेषण :- दो गज ज़मीन, चार किलो गेहूँ
(iii) संख्यावाचक विशेषण :- चार संतरे, प्रथम स्थान
(iv) सार्वनामिक विशेषण :- यह लाल फूल है, वह तेरी फ्राक है

दो बैलों की कथा के प्रश्नोत्तर

1. कांजीहौस में क़ैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी?

उत्तर

कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी इसलिए ली जाती होगी ताकि कैद पशुओं की संख्या का पता चल सके और पता लगाया जा सके की उनमें से कोई भाग या मर तो नहीं गया है।

2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?

उत्तर

छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। वह माँ के बिछुड़ने का दर्द जानती थी। इसलिए जब उसने हीरा-मोती की व्यथा देखी तो उसके मन में उनके प्रति प्रेम उमड़ आया। उसे लगा की वे भी उसी की तरह अभागे हैं और अपने मालिक से दूर हैं।

3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं ?

उत्तर 

इस कहानी के माध्यम से निम्नलिखित नीति विषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं :
1 विपत्ति के समय हमेशा मित्र की सहायता करनी चाहिए।
2 आजादी के लिए हमेशा सजग एवं संघर्षशील रहना चाहिए।
3 अपने समुदाय के लिए अपने हितो का त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
4 आज़ादी बहुत बड़ा मूल्य है। इसे पाने के लिए मनुष्य को बड़े-से-बड़ा कष्ट उठाने को तैयार रहना चाहिए।

4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ 'मूर्ख' का प्रयोग न कर किसी नए अर्थ की ओर संकेत किया है ?

उत्तर

प्रेमचंद ने गधे की सहनशीलता, सीधेपन,  क्रोध न करने, हानि लाभ सुख दुःख  सामान रहने आदि गुणों के आधार पर उसे बेवकूफ के स्थान पर संत स्वाभाव का प्राणी करार दिया है जो बहुत अधिक सीधेपन के कारण सामान के पत्र नही समझा जाता।

5. किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?

उत्तर

• दोनों एक दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे।
• जब ये दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते तो दोनों ज़्यादा से ज़्यादा बोझ स्वयं झेलकर दूसरे को कम बोझ देने की चेष्टा करते।
• नाद में खली-भूसा पड़ जाने के बाद दोनों साथ ही नाँद में मुँह डालते और साथ ही बैठते थे। एक के मुँह हटा लेने पर दूसरा भी हटा लेता था।
• जब कुछ लोगों ने खेत से पकड़कर ले जाने के लिए दोनों को घेर लिया तब हीरा निकल गया परन्तु मोती के पकड़े जाना पर वह भी बंधक बनने के लिए स्वयं ही लौट आया।
• कांजीहौस की दीवार के टूटने पर जब हीरा ने भागने से मना कर दिया तो अवसर होने के बावजूद भी मोती उसे छोड़कर नहीं भागा। 

6. "लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।" - हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिये।

उत्तर

हीरा के इस कथन से यह ज्ञात होता है कि समाज में स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। उन्हें शारीरिक यातनाएँ दी जाती थीं। इसलिए समाज में ये नियम बनाए जाते थे कि उन्हें पुरुष समाज शारीरिक दंड न दे। हीरा और मोती भले इंसानों के प्रतीक हैं। इसलिए उनके कथन सभ्य समाज पर लागू होते हैं। असभ्य समाज में स्त्रियों की प्रताड़ना होती रहती थी।


7. किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?


उत्तर

प्रेमचंद ने किसान जीवन में मनुष्य तथा पशु के भावनात्मक सम्बन्धों को हीरा और मोती दो बैलों के माध्यम से व्यक्त किया है। हीरा और मोती दोनों झूरी नामक एक किसान के बैल हैं जो अपने बैलों से अत्यंत प्रेम करता है और इसी प्रेम से वशीभूत होकर हीरा और मोती अपने मालिक झूरी को छोड़कर कहीं और नहीं रहना चाहते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि पशु भी स्नेह का भूखा होता है। प्रेम पाने से वे भी प्रेम व्यक्त करते हैं और क्रोध तथा अपमान पाकर वे भी असंतोष व्यक्त करते हैं।

8. इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे ' - मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।

उत्तर

मोती के इस कथन से उसकी निम्नलिखित विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं -
• वह आशावादी है क्योंकि उसे अभी भी यह विश्वास है कि वह इस कैद से मुक्त हो सकता है।
• वह स्वार्थी नहीं है। स्वयं भागने के बजाए उसने अन्य सभी जानवरों को सबसे पहले भागने का मौका दिया। 

9.आशय स्पष्ट कीजिए -
(क ) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के ह्रदय को मानो भोजन मिल गया।

उत्तर

(क) हीरा और मोती बिना कोई वचन कहे एक-दूसरे के मन की बात समझ जाते थे। प्रायः वे एक दूसरे से स्नेह की बातें सोचते थे। यद्दपि मनुष्य स्वयं को सब प्राणियों से श्रेष्ठ मानता है किंतु उसमें भी ये शक्ति नहीं होती।



(ख) हीरा और मोती गया के घर बंधे हुए थे। गया ने उनके साथ अपमान पूर्ण व्यवहार किया था। इसलिए वे क्षुब्ध थे। परन्तु तभी एक नन्हीं लड़की ने आकर उन्हें एक रोटी ला दी। उस रोटी से उनका पेट तो नहीं भर सकता था। परन्तु उसे खाकर उनका ह्रदय ज़रूर तृप्त हो गया। उन्होंने बालिका के प्रेम का अनुभव कर लिया और प्रसन्न हो उठे।

10. गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि -
क. गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
ख. गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
ग. वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
घ. उसे खली आदि सामग्री की जानकारी नहीं थी।

उत्तर

ग. वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।

बुधवार, 11 नवंबर 2015

यादें...

"हठ अपनों का,
वियोग सपनों का,
बातें सभी की,
चर्चा दूसरों की,
अपना क्या,
उनका क्या?"
क्यों अलसाती हैं
दोपहरें
इन बातों में...
क्यों बुझ जाते हैं
दीपक
इन यादों में....
इन यादों को
बस रहने दो...
उन बातों को
मत कहने दो...
यादें तन्हा करती हैं...
क्यों आती हैं???
क्यों ना जाती हैं???

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

स्पर्श...

ओजस्वी मन, प्रसन्न अंतःकरण...
दो हृदयों का परस्पर प्रत्यर्पण...
शुद्ध स्मृति,शुद्ध मन, शुद्ध आचरण...
भावनाएं बहने लगीं, रोमांचक प्रत्येक क्षण...
प्रेम मुझको समर्पित,मेरा प्रेम को समर्पण...

विचार हैं प्रवाहमयी,व्यवहार में शीतलता...
कल्पनाएँ सत्य हो रहीं,स्वप्नों में भी सजगता...
कष्ट विघ्न हो रहे,सत्य कि ही प्रचुरता...
चित्त है प्रसन्न,पराग सी कोमलता...
आलंबन दो हृदयों को,वट हुई जैसे लता..

पाकर यह “कैसा” स्पर्श...
स्तब्ध रह गया, यूँ ही सहर्ष...
प्रेम का प्रारंभ या उत्कर्ष...
रस में ह्रदय या ह्रदय में रस...
प्रेम में है “कोई”, यही है निष्कर्ष...

प्रतीक्षा का हुआ अभिशून्यन ???
या एकांतवास का पलायन!!!
ह्रदय प्रफुल्लित या पुलकित मन!!!
नव उर्जा का संचार, स्फुरित तन...
प्रेम समीर बह रही, खुला ह्रदय का वातायन...

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

a poem by my student- Naseema

गति  प्रबल  पैरो में भरी ,
फिर  क्यों  रहूँ  दर-दर खड़ा .
जब  आज  मेरे  सामने  -
है  -रास्ता  इतना  पड़ा .
जब  तक   मंजिल   पा   सकूँ ,
तब  तक  मुझे    विराम हैं .
चलना   हमारा   काम  है ,
रही  हमारा   नाम हैं .
इस विशद  विश्व-प्रहार में ,
किसको   नहीं बहना  पड़ा
 सुख -सुख   हमारी   ही तरह ,
किसको नहीं  सहना पड़ा ,
फिर  व्यर्थ   क्यों   कहता   फिरूँ
मुझ   पर   विधाता   वाम  हैं
गति  प्रबल  पैरो में भरी ,
फिर  क्यों  रहूँ  दर-दर खड़ा .
जब  आज  मेरे  सामने  -
है  -रास्ता  इतना  पड़ा .
जब  तक   मंजिल   पा   सकूँ ,
तब  तक  मुझे    विराम हैं .
चलना   हमारा   काम  है ,
रही  हमारा   नाम हैं .
इस विशद  विश्व-प्रहार में ,
किसको   नहीं बहना  पड़ा
 सुख -सुख   हमारी   ही तरह ,
किसको नहीं  सहना पड़ा ,
फिर  व्यर्थ   क्यों   कहता   फिरूँ
मुझ   पर   विधाता   वाम  हैं
गति  प्रबल  पैरो में भरी ,
फिर  क्यों  रहूँ  दर-दर खड़ा .
जब  आज  मेरे  सामने  -
है  -रास्ता  इतना  पड़ा .
जब  तक   मंजिल   पा   सकूँ ,
तब  तक  मुझे    विराम हैं .
चलना   हमारा   काम  है ,
रही  हमारा   नाम हैं .
इस विशद  विश्व-प्रहार में ,
किसको   नहीं बहना  पड़ा
 सुख -सुख   हमारी   ही तरह ,
किसको नहीं  सहना पड़ा ,
फिर  व्यर्थ   क्यों   कहता   फिरूँ
मुझ   पर   विधाता   वाम  हैं
चलना  हमारा   काम  हैं ,
राही  हमारा   नाम   हैं \\
मैं   पूर्णता   की  खोज  में ,
दर -दर   भटकता   ही  रहा \
पर  क्यों   निराला   है   मुझे ,
जीवन   इसी  का  नाम   हैं \
राही   हमारा  नाम  हैं  ,
चलना  हमारा   नाम  हैं ,चलना  हमारा  काम   हैं \\

मंगलवार, 22 मार्च 2011

क्यों हार गए ? : a poem by my student - Niharika

क्यों हार गए चल के दो कदम ?,
मंजिल की दूरी है कम .,
यह माना कि है अनजान डगर ,
तू है एकाकी है लम्बा सफ़र .,
रख मंजिल पर तू अपनी नजर ,
मुश्किल  होगी आसान  एकदम .,
चलना ही हियो जीवन चलता चल ,
आबादी मिले या मिले सघन जंगल .,
जंगल में मंगल मनाता चल ,
मंजिल बढ़ के चूमेगी कदम .,
एवरेस्ट को भी हम छू आये ,
उस चाँद पे भी हमने कदम टिकाये .,
क्यों चल के फिर दो कदम हो घबराये ,
क्या भूल गए अपना दम ख़म?,
एडिसन  भी असफल हुए हजारों बार ,
तभी तो हुआ बल्ब का अविष्कार .,
फिर एक प्रयास से क्यों मचले ,
है राह तो ये आसान एकदम .,
जीवन में सुख दुःख आते हैं ,
दुनिया में फूल हैं कांटे हैं .,
काँटों से भरी है राह अगर ,
आगे है बहारों का मौसम .

रविवार, 20 मार्च 2011

मेरा वजूद : a poem by my Student- Akanksha

कौन  हूँ मै
क्या  है मेरा  वजूद
बस मैं एक लड़की हूँ
और रीति रिवाज़ मेरा ताबूत
क्या घर  की चारदीवारी में
रहना है बस मेरा नसीब
या खोल पंख  सपनों  के
उड़  जाऊं और  पाऊँ सुकून
कैसे बताऊँ अपने अरमान
कैसे  दिखाऊँ अपने  ज़ज्बात 
कितना  भी कुछ  करके  दिखाएं 
हमारा  मूल्य  हमेशा  रहता  शून्य.